मेरी रजाई प्यारी रजाई ।

मेरी रजाई प्यारी रजाई 

जब देखो सुलाती रहती रजाई।। 


लिपट लिपट कर ठण्ड भगाती रजाई 

बाहर न जाने को कहती रजाई।। 


मेरी रजाई प्यारी रजाई 

जब देखो सुलाती रहती रजाई।। 


इसारे दे दे कर बुलाती रजाई 

न जाऊं फिर इतराती रजाई।। 


मेरी रजाई प्यारी रजाई 

जब देखो सुलाती रहती रजाई।।  


मेरे संग सोती रहती रजाई  

जग जाऊं, बाबू बोल फिर सुलाती रजाई।। 


मेरी रजाई प्यारी रजाई  

जब देखो सुलाती रहती रजाई।।  


एकीकार कर सुलाती मेरी रजाई  

अच्छी निदिया  लाती मेरी रजाई।। 


मेरी रजाई प्यारी रजाई  

जब देखो सुलाती रहती रजाई।। 

                             . . . शुभम सिंह



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