तुम्हारी चाल, तुम्हारी अदा, तुम्हारी बोली, तुम्हारी नयनकटारी, क्या क्या वर्णन मैं और करूँ मोतरमा, यह हैं तुम्हारे सारे अपने खंजर, जो पल भर में कर देते हैं मेरे दिल को पलंजर । . . . शुभम सिंह
बदली उमड़ - उमड़ बरसे, बिजली गरज - गरज गरजे, मन मेरा बहक - बहक बहके, पिया मिलन - मिलन को जी तरसे । पिया हैं दूर - दूर कबसे, पिया हैं अकेले - अकेले कबसे, मन मेरा तड़प - तड़प तड़पे, पिया मिलन - मिलन को जी तरसे । पिया करें हैं वादा - वादा हमसे, वादा है आज ही मिलेंगे - मिलेंगे हमसे, मन मेरा पिया दर्शन - दर्शन को तरसे, पिया मिलन - मिलन को जी तरसे । पिया खबरिया आयेगी - आयेगी कबसे, पिया बिना जिया मेरा उमड़ - उमड़ उमड़े, मन मेरा बहक -बहक बहके, पिया मिलन - मिलन को जी तरसे । . . . शुभम सिंह
तुम्हारी घुघराली जुल्फें सवारना चाहता हूँ, तुम्हारी नयन कटारी से घायल होना चाहता हूँ, तुम्हारे हर हुक्म की गुलामी करना चाहता हूँ, सीधे कहूँ तो यार तुम पर मर ही जाना चाहता हूँ । . . . शुभम सिंह
उसकी अदाओं का कोई तोड़ नहीं है, उसकी नयन कटारी का कोई जोड़ नहीं है, उसके नूर जैसा कहीं नूर नहीं है, यारों उसके जैसा दूजा कोहिनूर नहीं है। . . . शुभम सिंह