किसी के लिए खुद को भूल जाने की, किसी के लिए खुद को गवाँ देने की, किसी के लिए खुद को मिटा देने की, यह चाहत थी हमारी सिर्फ उनको पाने की । किसी के लिए सबसे लड़ जाने की, किसी के लिए सबसे झूठ बोल जाने की, किसी के लिए कुछ कर जाने की, यह चाहत थी हमारी सिर्फ उनको पाने की । किसी के लिए अकेले में बैठ कर दुआ करने की, किसी के लिए अकेले में बैठ कर फोटो चूमने की, किसी के लिए अकेले में बैठ कर नाम लिखने की, यह चाहत थी हमारी सिर्फ उनको पाने की । किसी के लिए रजाई में छुप के रोने की, किसी के लिए यादों में खो जाने की, किसी के लिए इस नादान दिल की धकड़ने की, यह चाहत थी हमारी सिर्फ उनको पाने की । किसी के लिए बस खुद में खो जाने की, किसी के लिए बस तड़पते ही रह जाने की, किसी के लिए बस रोते ही रह जाने की, यह चाहत थी हमारी सिर्फ उनको पाने की ।। . . . शुभम सिंह