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Showing posts from October, 2017

मेरा दिल ।

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जब जब  सुना की  तुम  रोयी  हो । तब तब  दिल  मेरा  रोया  है ।। पता ही नहीं  चलता  जनाब ।   कि मेरा  दिल  दिल  है  या  तुम्हारी  आँख ।।

मैं तुम यही मेरी दुनिया ।

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मैं वह सूरज नहीं जो गोला  देखकर  रौशिनी  करूँ । मैं वह चाँद नहीं जो रात  देखकर  चांदिनी   बिखेरूँ। ।  मैं तो उस दरिया का बहता  हुआ  मीठा पानी हूँ  जनाब ।  जो हर पल  बहकर  तुमसे  मिलने  को  बेताब  है  महबूबा।   ।  

मेरी हर कहानी सिर्फ तुमसे

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तुझे जब धुप लगती है , तब मैं बादल बन जाता हूँ । तुझे जब ठण्ड लगती है , तब मैं धुप बन जाता हूँ ।। तुझे जब प्यास लगती है , तब मैं झरने का मीठा पानी बन जाता हूँ  । तुझे जब बसंत याद आती है , तब मैं शीतल मंद बयार  बन जाता हूँ ।। तुझे जब कभी सुनने का मन करता है , तब मैं गीत बन जाता हूँ । तुझे जब कभी  चूमने का मन करता है , तब मैं गीत के हर शब्द चूम लेता हूँ।। इस कदर मोहब्बत हो गयी है हमको तुमसे की  तुमसे मोहब्बत करने के लिए मैं मोहब्बत ही बन जाता हूँ ।।

मर जावां तुझ पर

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क्यों हम उनसे इतनी मोहब्बत कर बैठते है । जिन्हे हमारी खबर तक भी नहीं होती है।। हम तो हर पल उनको अपनी साँसों में उतारा करते है । पता है मुझे , उनको मेरे नाम की एक सांस भी नहीं आती है ।। फिर भी हमारी हर सांस उनके यहां जमा होती है । हे खुदा मुझे बता दे , तूने क्यों दी है यह साँसे । मुझे तड़पाने के लिए , या मेरी हर सांस को उसकी सांस बनाने के लिए ।।