तुझे जब धुप लगती है , तब मैं बादल बन जाता हूँ । तुझे जब ठण्ड लगती है , तब मैं धुप बन जाता हूँ ।। तुझे जब प्यास लगती है , तब मैं झरने का मीठा पानी बन जाता हूँ । तुझे जब बसंत याद आती है , तब मैं शीतल मंद बयार बन जाता हूँ ।। तुझे जब कभी सुनने का मन करता है , तब मैं गीत बन जाता हूँ । तुझे जब कभी चूमने का मन करता है , तब मैं गीत के हर शब्द चूम लेता हूँ।। इस कदर मोहब्बत हो गयी है हमको तुमसे की तुमसे मोहब्बत करने के लिए मैं मोहब्बत ही बन जाता हूँ ।।