मैं तुम यही मेरी दुनिया ।

मैं वह सूरज नहीं जो गोला  देखकर  रौशिनी  करूँ ।


मैं वह चाँद नहीं जो रात  देखकर  चांदिनी   बिखेरूँ। । 


मैं तो उस दरिया का बहता  हुआ  मीठा पानी हूँ  जनाब । 


जो हर पल  बहकर  तुमसे  मिलने  को  बेताब  है  महबूबा।  

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

SOME BEAUTIFUL LINES ...

मोहब्बत की डुबकियाँI

BS TU HI TU