उनकी बाहों का तकिया मुझे चाहिये, उनकी जुल्फों की सघन घटा मुझे चाहिये, मुझे इस दुनिया में कुछ और नहीं चाहिये, बस इतने नूरों की एक जादुगरनी मुझे चाहिये ।
तुम्हारी चाल में एक नजाकत दिखती है मुझे, तुम्हारे नूर में कोहिनूर दिखता है मुझे, कहीं इश्क़ का रोग तो नहीं हो गया मुझे, की जो चाँद पे भी तेरा घर दिखता है मुझे ।।