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Showing posts from March, 2019

करवा चौथ।

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आज फिर करवा चौथ आया।  फिर दिल में एक उभार लाया।। मेरी वह चाँदनी नहीं बन पायी।  मैं उसका चाँद नहीं बन पाया।।  आज फिर करवा चौथ आया।  फिर दिल में एक उभार लाया।।  उसका मुखड़ा इन आँखों में उतर आया।  यह देख चाँद बहुत इतराया।।  आज फिर करवा चौथ आया।  फिर दिल में एक उभार लाया।।  यादें फिर उसकी याद आयीं।  जुल्फें लहराते वह नज़र आयी।। सिसकियाँ सिसक कर आयीं।   बिन मौसम फिर बारिश आयी।। फिर वह कानपुर की गलियां याद आयीं। बनारस की गर्मियाँ भी बहुत भायीं।। कुछ पल का सपना हकीकत नज़र आया।  यह देखने चाँद भी जमीं पर उतर आया।।  आज फिर करवा चौथ आया।  फिर दिल में एक उभार लाया।।                          . . . शुभम सिंह      

छा गयी है तू मुझमे।

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छा गयी है तू मुझमे,  महक गयी है तू मुझमे,  चांदनी बन गयी है तू मुझमे,  बस इंतज़ार है समा जा तू मुझमे।  मुस्कराहट बन गयी है तू मुझमे,  रिमझिम सावन बन गयी है तू मुझमे,  एक गीत सी बन गयी है तू मुझमे,  बस एक आदत सी बन गयी है तू मुझमे।  सागर की गहराई जैसे उतर आयी है तू मुझमे,  बहता दरिया सा ख्वाब बन आयी है तू मुझमे,  ब्रह्माण्ड जैसा बिस्तार बन आयी है तू मुझमे,  समुद्र मंथन का अमृतमयी कलश बन आयी है तू मुझमे।  प्रेम का बिगुल बजा आयी है तू मुझमे,  गुलाब के फूल जैसे खिल आयी है तू मुझमे,  इस कदर उतर आयी है तू मुझमे,  जैसे खुदा ही उतर आया हो मुझमे।                            . . . शुभम सिंह 

छोटू का संघर्ष।

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उम्र  ना थी  कुछ  भी  उसकी,  फिर भी  वह काम   किये जा रहा था,  वह खुद पर  तरस  खा  रहा था, पर जमाना  उससे काम  लिए जा  रहा था।   खेलने की  उम्र में  जिम्मेदारियाँ  निभा  रहा था,  बचपन की  उम्र में  दुकान पे  छोटू कहला  रहा था, उम्र ना  थी कुछ  भी  उसकी, फिर भी  वह काम  किये जा  रहा था। हर  कोई  उसे छोटू  बुला रहा था, सबकी वह  बस सुने  जा रहा था, पर उसकी  वेदना कोई  दूर नहीं  कर  रहा था,  वह सिर्फ  मुस्करा के  काम किये   जा रहा था। उम्र ना  थी कुछ  भी  उसकी।  फिर भी  वह काम  किये जा  रहा था।। अपने परिवार  का बोझ  उठा  रहा था,  अमीरी को  आईना  दिखा  रहा था,  गरीबी में  वह अपनी  अमीरी  दिखा रहा था,  अपने परिवार  का खेवईया  कहला   रहा था।  उम्र ना  थी कुछ  भी  उसकी।  फिर भी  वह काम   किये जा  रहा था।। सिसकियाँ  उसकी कौन  सुन  रहा था, आंसू  उसके  कौन  पोछ  रहा था,  प्यार  उससे  कौन कर  रहा था,  बस खुद  के काम के  वास्ते हर  कोई  छोटू  कह  रहा था । उम्र  ना  थी  कुछ  भी  उसकी।  फिर भी  वह  काम  किये  जा  रहा