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Showing posts from December, 2017

मोहब्बत क्या से क्या बन जाती है ।

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खामियाँ उनकी न पता हो तो उनसे मोहब्बत हो जाती है,  और पता चल जाये तो वही मोहब्बत नफरत बन जाती है,  कुछ यूँ ही किसी की मोहब्बत उसकी जिंदगी बन जाती है, और किसी की मोहब्बत एक जिस्म का व्यापार बन जाती है।    

हम करके भी कहते कुछ करते नहीं ।

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किसी को नजरों में बसाते हो, और किसी को नजरों से उतारते हो, कहते हो हम कुछ करते नहीं  । किसी को रोटी देते हो, और किसी की रोटी छीनते हो, कहते हो हम कुछ करते नहीं  । किसी का घर बसाते हो, और किसी का घर उजाड़ते हो, कहते हो हम कुछ करते नहीं  । किसी को खूब इज्जत देते हो , और किसी की इज्जत  लुटते हो, कहते हो हम कुछ करते नहीं  । किसी के लिए आंसूं बहाते हो, और किसी को आंसूं बहाने देते हो, कहते हो हम कुछ करते नहीं  । किसी की बहन के लिए परायी नज़र, और खुद की बहन के लिए दूसरी नज़र, कहते हो हम कुछ करते नहीं । हे मानव हो जाओ सावधान कर के सब कुछ भी कहते हो हम कुछ करते नहीं  । ।  . . . . . . (  शुभम  सिंह  )

खुद्दार इश्क़ ।

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हे इश्क़ वालों  तुम बेवजह दिल लुटाया न करो,  किसी के  लिये तुम खुद  को सताया न करो, खुदा के इस आनन में हैं बहुत सी सुन्दर परियाँ, किसी एक के लिये तुम खुदा को भुलाया न करो ।  

क्या यही इश्क़ है।

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                                                      बातें उनसे बेबुनियाद हो जाती हैं, और इल्जाम भी उनका एक बहाना होता है, क्या इसी रंगत का नाम इश्क  है, जो बिन देखे उन्हें,  हमें बार बार हो जाता है।

हो गयी तो हो गयी मोहब्बत।

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सूरज भी  निशा देखकर रौशिनी देता है,  चाँद भी वक्त देखकर चांदिनी बिखेरती है,  मेरे जनाब, सिर्फ मोहब्बत करने वाले ही  होते हैं,  जो बिन देखे मोहब्बत में मोहब्बत बन जाया  करते हैं।

तन्हाई बड़ी या मोहब्बत ।

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किसी की तन्हाई उसकी आरजू बन गयी, और किसी की मोहब्बत उसकी जिंदगी बन गयी,  फिर आयी बात दोनों में  सिकंदर है कौन ? तन्हाई बोली -  तुम्हारी जिंदगी में मोहब्बत और हमारी  मोहब्बत में  जिंदगी।