हम करके भी कहते कुछ करते नहीं ।
किसी को नजरों में बसाते हो,
और किसी को नजरों से उतारते हो,
कहते हो हम कुछ करते नहीं ।
किसी को रोटी देते हो,
और किसी की रोटी छीनते हो,
कहते हो हम कुछ करते नहीं ।
किसी का घर बसाते हो,
और किसी का घर उजाड़ते हो,
कहते हो हम कुछ करते नहीं ।
किसी को खूब इज्जत देते हो ,
और किसी की इज्जत लुटते हो,
कहते हो हम कुछ करते नहीं ।
किसी के लिए आंसूं बहाते हो,
और किसी को आंसूं बहाने देते हो,
कहते हो हम कुछ करते नहीं ।
किसी की बहन के लिए परायी नज़र,
और खुद की बहन के लिए दूसरी नज़र,
कहते हो हम कुछ करते नहीं।
हे मानव हो जाओ सावधान
कर के सब कुछ भी
कहते हो हम कुछ करते नहीं ।।
. . . . . . ( शुभम सिंह )
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteDhanyavad sir
DeleteNice lines ...keep it up
ReplyDeleteDhanyavad Sir
DeleteButyful lines bhai
ReplyDeleteDhanyavad yadav ji
Delete