मै वह आशिक नही जो तुझसे रूठ जाऊं, मै वह आशिक नही जो तुझसे किनारा कर जाऊं। मै तो उस दरिये का मीठा पानी हूँ जनाब, जिसे लोग आज भी मोहब्बत की झील कहा करते है।।
बहुत खुशबु आती है इन कच्ची दीवालों से, जब इन पर बारिश हो जाया करती है। तू तो मेरी हर रोज की बारिश है, समझ ही नही आता की मै कच्ची दीवाल हूँ या कुछ और ही।।
Waahh waahhh Waahh
ReplyDelete2nd wala...jyada msstt h..��
Dhanyvad Sir
DeleteSplendid once again
ReplyDeleteDhanyvad Sir
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