तुम आज भी उतनी याद आती हो ।


तुम आज भी उतनी याद आती हो। 
जितनी कल याद आती थी। । 

 कोई संगीत सुनता हूँ। 
तुम  झट हममें महक सी जाती हो 

तुम आज भी उतनी याद आती हो। 
जितनी कल याद आती थी। 

यह जीवन जो तुम बिन जीता हूँ 
यहाँ भी अधूरापन बन कर आ जाती हो। 

तुम आज भी उतनी याद आती हो 
जितनी कल याद आती थी  

जब भी तुमको देखना चाहता हूँ। 
तुम स्वपन बन कर आ जाती हो। 

तुम आज भी उतनी याद आती हो। 
जितनी कल याद आती थी। 

मेरी आँखे जो तेरे लिए तरसती है 
यहाँ भी आंसू बन कर आँखों को छू जाती हो 

तुम आज भी उतनी याद आती हो 
जितनी कल याद आती थी। 

जब कभी  गम में होता हूँ 
तब तुम मुस्कराहट बन कर आ जाती हो। 

तुम आज भी उतनी याद आती हो 
जितनी कल याद आती थी। । 

कभी जब तुमको स्पर्श करना   चाहता हूँ। 
तुम शब्द रूप धर कर मेरी कलम बन जाती हो 

तुम आज भी उतनी याद आती हो 
जितनी कल याद आती थी  
                       
                                           . . . शुभम सिंह







                                       







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