हमने एक सपना पाल रखा था ।

हमने एक सपना पाल रखा था,
इस अजनबी दुनिया में दिल उनको दे रखा था,
पर जब आँख खुली तब पता चला,
मैं तो एक सपना देख रहा था ।

  

सपने में खुद को बेतहासा खो रखा था,
माँ बाप को भी एक पल को भूल रखा था,
पर जब आँख खुली तब पता चला,
मैं तो एक सपना देख रहा था। 

 

खुद को हमेशा हकीकत से दूर रखा था,
क्योंकि दिल हमने जो  उनको दे रखा था,
पर जब आँख खुली तब पता चला,
मैं तो एक सपना देख रहा था । 


सपने में खुद को उनके यहाँ गिरवी रखा था,
खुदा का मस्त परिंदा हूँ यह भी भूल रखा था,
गलतियां पर गलतियां मैं कर रखा था,
बस सपने में खुद को भूल रखा था । 

उठ जा, जाग जा हे मेरे आज के युवा,
सपने को छोड़, खुदा को कर याद मेरे युवा,
खुदा ने बड़ा खुबसूरत तेरा इंतज़ाम कर रखा है,
तभी तो खुदा ने उस बेवफा को एक सपना बना रखा है । 

                                                                            . . . शुभम  सिंह  


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