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मोहब्बत की डुबकियाँI
किससे बात करते हो मन, उनसे जिन तक आवाज पहुंचती ही नहीं । किसको इतना याद करते हो, उनको जो तुम्हे सोचते तक भी नहीं । किसके लिए इतनी दुआ करते हो, उनके लिए जो तुम्हे सिर्फ नफरत की दुकान समझते है । किसको याद करके तुम मुस्करा जाते हो, उन्हें जो तुम्हे आज तक मुस्कराने का मौका भी न दिया । किसके लिए तुम दुनिया छोड़ने को तैयार हो जाते हो, उनके लिए जिनकी दुनिया में तुम हो ही नहीं । इतनी नफ़रत है जहां, जहां आशा की कोई किरण नहीं, फिर भी तुम्हे क्यों फ़िक्र रहती है उनकी । न ये जान पाया आज तक, पता है आगे भी न जान पाऊंगा, फिर भी मेरी साँसों को कदर रहेगी तेरी, जब तक है जान , जब तक है जान ।
मनमोहक विचार 🙏
ReplyDeleteDhanyavad Sir
DeletePerfect thought at our polarize society....hats of 2 you ...nice one...
ReplyDeleteDhanyavad Sir
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