भारत का परिचय ।


धधकती रहती है ज्वाला अंतर्मन की जिनकी,

चिंगारी ही परिचायक होती है जिनकी,

अगणित सूरज का तेज समाया है जिनके,

रक्त की  धार में भी अकड़ है जिनकी,

रणनीति, कूटनीति और  छलनीति भी न कर पाती है  सामना जिनका,

बुलंद रहता है हौसला,  होती जय जय कार  हमेशा जिनकी,

सेतुनिर्माण जैसे इतिहास होते हैं जिनके,

अग्निपरीक्षा  देते भी जलते नहीं हैं पाँव जिनके,

शत्रु के चगुंल में भी गूंजती है दहाड़ जिनकी,

शेर भी थर थर  काँपते  हैं  सामने जिनके,

फिर भी सहज सौम्य दर्शन है उनका,

बस इतना ही परिचय है भारत के जन जन का ।।

                                               ... शुभम सिंह ।

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